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तेरे द्वार आई माँ

तेरे द्वार आई माँ


मैं आई माँ तेरे दुअरिया ,कष्ट मैया मेरे दूर कर दे।

ले आई नेह की गगरिया ,कष्ट मैया सबके दूर कर दे।


माथ मैया के मुकुट सोहे, चुनरी लाल निराली।

कान का कुंडल झन-झन बाजे, हार की शोभा न्यारी।

छन-छन बाजे तेरी पायलिया, हँस के मैया जी जरा देख ले।

मैं आई  माँ तेरे दुअरिया, कष्ट मैया सबके दूर कर दे।


मोह माया मोह बहुत सताए,भाव बंधन अति लुभाये।

तेरे द्वार पर आना चाहूं, पापी मन ये रोक लगाए।

भर दे ज्ञान की अजोरिया, अंधेरा दूर मन से माँ कर दे।

मैं तो आई तेरे दुअरिया, कष्ट मैया सबके दूर कर दे।


वेदशास्त्र तो मैं न जानूँ, मैं हूँ एक अनपढ़  नारी।

कैसे करूँ पूजा मैया, समझे वेद न मन ये अनाड़ी।

खोल दे विद्या की केवड़िया,अज्ञान दूर मैया मोरि करदे।

मैं तो आई तेरे दुअरिया,कष्ट मैया सबके दूर कर दे।


तुम  ही हो कात्यायनी अम्बा, तुम जगदम्बा काली।

विपदा  मेरी दूर  करो माँ,  सब संकट  हारने वाली।

बहा दो दया की गगरिया, करुण कृपा हमपर कर दे।

मैं तो आई तेरे दुअरिया, कष्ट मैया सबके दूर कर दे।


मैं  दुखियारी जनम-जनम की, गई  युगों  से सताई।

कलियुग में मेरी दशा हुई क्या, रही न तुमसे छिपाई।

लग गई दाग इस चुनरिया, पापियों को दंड कठिन दे दे।

मैं तो आई तेरे दुअरिया ,कष्ट मैया सबके दूर कर दे।


स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'

नई दिल्ली





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8 Comments

Sona shayari

07-Jun-2022 02:08 PM

बहुत सुंदर रचना

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Niraj Pandey

08-Oct-2021 09:48 AM

जय माता दी🙏

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Renu Singh"Radhe "

08-Oct-2021 07:27 AM

बहुत सुंदर रचना जय माता दी 🙏🙏💐

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